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Class 10th Biology Question with Answer : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : Bharati Bhawan : Bihar Board : कक्षा 10 जीवविज्ञान अधयाय 1जैव प्रक्रम

 कक्षा 10                अधयाय 1             जीवविज्ञान  

जैव प्रक्रम

Class 10th Biology Question with Answer : दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : Bharati Bhawan : Bihar Board : कक्षा 10 जीवविज्ञान अधयाय 1जैव प्रक्रम
Bio Process

  •  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-

1. पोषण किसे कहते है ? जीवों में होनेवाली विभिन्न पोषण विधियों का उल्लेख करें | 

उत्तर :- वे सारी क्रियाएँ  जिनके द्वारा जीव खाद्य पदार्थो को ग्रहण करते है, पाचन क्रियाएँ कहलाती है | जटिल कार्बनिक आहार का एंजाइमों की सहायता से सरल तत्वों में बदलना तथा कोशिकाओं द्वारा अवशोषित होना पोषण कहलाता है |  

पोषण के विभिन्न प्रकार :-

(i) स्वपोषी (Autotrophic) :- ये अपना भोजन CO2  और जल के द्वारा प्रकाश ऊर्जा की सहायता से स्वयं तैयार करते है, जैसे - हरे पौधे |  

(ii) विषमपोषी (Heterotrophic) :- ये अपना भोजन अन्य स्रोतों से ग्रहण करते है | 

(iii) मृतपोषी (Saprotrophic) :- ये अपना भोजन मृत या सड़े-गले पदार्थो से ग्रहण करते है | 

(iv) परजीवी (Parasitic Nutrition) :- ये अन्य जीवो से भोजन प्राप्त करते है |  

2. प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रिया को संक्षेप में समझाएँ | 

उत्तर :- जिस प्रक्रिया के द्वारा पौधे अपना भोजन तैयार करते है उस मुलभुत प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण कहते है | सभी हरे पौधे में पर्णहरित होता है जिससे सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने की क्षमता होती है | सूर्य की सहायता से प्रकाशसंश्लेषण में सरल अकार्बनिक अणु-कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल (H2O) का पादप - कोशिकाओं में स्थिरीकरण कार्बनिक अणु ग्लूकोज  हैं |  पौधे इस प्रक्रिया द्वारा सिर्फ ग्लूकोज का ही उत्पादन नहीं करते है - बल्कि वे सूर्य-प्रकाश की विकिरण ऊर्जा का स्थिरीकरण रासायनिक ऊर्जा में करते है, जो ग्लूकोज अणुओं में संचित रहती है |  

                सम्पूर्ण प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया को हम निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा व्यक्त करते है | 

प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रिया
प्रकाशसंश्लेषण-प्रक्रिया
                   उपर्युक्त समीकरण से स्पस्ट है की इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन उपोत्पाद के रूप में बनता है, जो पौधों द्वारा वायुमंडल में छोड़ा जाता है |  

3. एक प्रयोग द्वारा दर्शाएँ की प्रकाशसंश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है | 

उत्तर :- एक क्रोटोन या कोलियस की चित्तीदार पत्ती को तोड़े | उसकी हरी और सफेद चित्तियों को रेखांकित करें | इस पत्ती को बीकर में रखे पानी में डालकर कुछ देर उबालें और उबालने के पश्चात उसे गर्म एल्कोहल या स्प्रिट में दाल दे | अब इस एल्कोहल वाले बीकर को वाटर बाथ  रखकर उबाले (आप थोड़े देर में देखेंगे की स्प्रिट हरे रंग का है जा रहा है) क्योंकि पत्ती में मौजूद हरा वर्णक क्लोरोफिल पत्ती से निकलकर धीरे-धीरे एल्कोहल में घुल जाता है | जब पत्ती रंगहीन या हल्के पीले रंग या सफेद हो जाए तो बीकर को ठंडा होने के लिए छोड़ दें | 

एक प्रयोग द्वारा दर्शाएँ की प्रकाशसंश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है

                ठंडा होने के बाद पत्ती को पानी में अच्छी तरह धो ले | इसके बाद इस पत्ती को पेट्रीडिश में रखकर उसपर आयोडीन की कुछ बुँदे डालें | आप देखेंगे की पत्ती का हरी चित्तियोवाला भाग गाढ़ा नीला रंग का हो जाता है, परन्तु पत्ती  का सफेद चित्तियोंवाले भाग नीला नहीं होता है | इसका अर्थ हुआ की सफेद भाग पर आयोडीन का कोई असर नहीं हुआ | ऐसा क्यों हुआ ? हरी चित्तियोवाला  मौजूद था, इसीलिए उस हिस्से में प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया हुई, जिससे उसमे मंड का निर्माण,  परन्तु पत्ती के सफेद चित्तियोवाले भाग  क्लोरोफिल अनुपस्थित होता है | इसीलिए उस भाग में  प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया हुई  मंड स्टार्च का निर्माण हुआ | इससे यह साबित  की बिना क्लोरोफिल के प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया संपन्न नहीं हो सकती |  

4. प्रकाश संश्लेषण के लिए CO 2 आवश्यक है, इसे साबित करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करे |

उत्तर :- एक गमले  लगा पौधा लें   समय तक अँधेरे   की उसमे  स्टार्च उपयोग न  जाए | 

             चौड़े मुँह की एक बोतल ले | इसमें कुछ KOH  विलयन ले | अब उपरोक्त पौधों की एक पत्ती तोड़कर उसमे डाले और उसे बोतल में फटी कॉर्क  के द्वारा इस प्रकार रखे आधी पत्ती बाहर रहे और आधी अंदर रहे  |   

प्रकाश संश्लेषण क्रिया में कार्बन दाइआक्साइद गैस आवश्यक है
प्रकाश संश्लेषण क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड गैस आवश्यक है
इस उपकरण को वायुरुद्ध करे और  समय तक प्रकाश   पत्ती को बोतल से बाहर निकाले | अब इसे एल्कोहल में उबालें जिससे क्लोरोफिल समाप्त हो जाए | अब पत्ती को पेट्रीडिश में रखे और उस पर कुछ बुँदे आयोडीन विलयन की डालें | 

पत्ती का वह आधा भाग जो बाहर वातावरण में था, नीला  है  स्टार्च  उपस्थिति  दिखाता है और पत्ती का वह भाग जो बोतल अंदर  था,  होता है जो  अनुपस्थिति दर्शाता है |  

5. अमीबा का भोजन क्या है ? अमीबा के पोषण का वर्णन करें | 

उत्तर :- अमीबा प्राणिसमपोषी विधि से पोषण करता है | यह एक सर्वाहारी जंतु है | इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवो के रूप में होता है | इन सूक्ष्म जीवों को निगलने में जो विधि अपनाई जाती है उसे फैगोसाइटोसिस  | यहाँ अपने जीवन को शरीर के किसी भी सतह से कूटपाद द्वारा ग्रहण करता है | पोषण विधि के निम्नलिखित चरण है :-  

               अन्तर्ग्रहण, पाचन,अवशोषण एवं बहिःक्षेपण एवं जब यह किसी भोज्य पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे पकड़ने के लिए कूटपाद बनावन उसकी और बढ़ता है तो यह कूटपादों द्वारा चारों  से घेर लेता है जिससे एक प्यालेनुमा रचना बनती है जिसे फूड-कप कहते है | 

                अमीबा में अन्तः कोशिकीय पाचन होता है | भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका होता है | भोजन पचने के लिए ट्रिप्सिन, पेप्सिन, एमाइलेज एंजाइम पाए जाते है | 

                इसमें अपच पदार्थ को बाहर निकालने के लिए विशेष एनस नहीं पाया जाता है | अपच भोजन शरीर के किसी भी स्थान से बाहर निकल दिया जाता है | इस प्रक्रिया को बहिः क्षेपण कहते है |  

6. मनुष्य के आहारनाल की रचना का वर्णन करें | 

उत्तर :- मनुष्यों का आहारनाल :-  

(i) मुख गुहा :- मनुष्य मुख द्वारा भोजन ग्रहण करता है | मुख इ स्थित दाँत भोजन के कणो को चबाते है जिससे भोज्य पदार्थ छोटे-छोटे कणो में विभक्त हो जाता है | लार-ग्रंथियों से निकली लार भोजन में अच्छी तरह मिल जाती है | लार भोजन को लसदार चिकना और लुग्दीदार बना देता है, जिससे भोजन ग्रसिका में से होकर आसानी से आमाशय में पहुँच जाता है | 

मनुष्यों का आहारनाल
मनुष्यों का आहारनाल

(ii) आमाशय :- जब भोजन अमाश्य में पहँचता है तो वहाँ भोजन का मंथन  जिससे भोजन और छोटे- छोटे टूट  हैं | भोजन में नमक का अम्ल  माध्यम को अम्लीय  तथा भोजन को सड़ने से रोकता है |  

(iii) ग्रहणी :- आमाशय में पाचन के बाद जब भोजन ग्रहणी में पहुँचता है तो यकृत में आया पित्त रस भोजन से अभिक्रिया करके वसा  निर्माण कर देता है तथा माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे अग्नाशय से आये पाचक रस में उपस्थित एंजाइम क्रियाशील हो जाते है  उपस्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देता है | 

(iv) क्षुद्रांत :- ग्रहणी में पाचन के बाद जब भोजन क्षुद्रांत में पहुँचाता है तो वहाँ आंत्र रस में उपस्थित एंजाइम बचे हुए अपरिचत प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देते है |  

(v) बड़ी आंत ( मलाशय ) :- क्षुद्रांत्र में भोजन के पाचन एवं अवशोषण के बाद जब भोजन बड़ी आंत में पहुँचता है तो वहाँ पर अतिरिक्त जल का अवशोषण कर लिया जाता है, बड़ी आंत में भोजन का पाचन  | भोजन का अपशिष्ट भाग यहाँ पर एकत्रित होता  तथा समय-समय पर मल द्वारा शरीर से निकाल दिया जाता है | 

7. मनुष्य के आहारनाल में पाचन की क्रिया का वर्णन करे | 

उत्तर :-   मनुष्य में पाचन मुख गुहा से आरंभ होता है और छोटी आंत में ख़त्म होता है | पाचन की पूरी प्रक्रिया को संक्षेप में निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है  |

क्रम

सं.

भोजन पचाने वाले अंग का नाम

पाचक ग्रंथि का नाम

एंजाइम का नाम

भोजन पर एंजाइम की क्रिया

रस की प्रकृति

1.

मुख गुहा

लार ग्रंथि पाचक ग्रंथि

टायलिन

टायलिन + कार्बोहाइड्रेट (भोजन) माल्टोज शुगर

अम्लीय

2.

आमाशय

यकृत (पित्तशय)

पेप्सिन और HCI

(अ)HCI अम्लीय माध्यम बनाता है जो पेप्सिन को उत्तेजित करता है |

अम्लीय

3.

ड्यूओडीनम

अग्न्याशय,  आंत की दीवार उत्पन्न करने वाले रस

ट्रेप्सिन नहीं

(ब)यह भोजन को जल्दी पचने नहीं देता |

(स)भोजन में उपस्थित कीटाणुओं को मार देती है |

पेप्सिन + प्रोटीन (भोजन ) – पेपटोंस

क्षारीय

 

क्षारीय   

4.

जेजुनम और इलियम

लार, पाचक रस बाई-कार्बोनेट पित्त रस, अग्न्याशय रस, आंत्र रस

नहीं एमाईलेप्सिन स्ट्रैपसीन या लाइपेज, अन्य एंजाइम

(i)पित्त रस भोजन की अम्लीयता को उदासीन करता है |

(ii) अग्नाशय रस को क्षारीय बनाता है |

(iii) वसा को छोटे-छोटे ग्लोबुल में इम्लसन बनाता है |

ट्रिप्सिन + पेप्टोंन (भोजन) – अमीनो अम्ल |

एमाइलोप्सिन + शर्करा (भोजन) – ग्लूकोज

स्त्रेप्सिन + वसा (भोजन) – वसा अम्ल + ग्लिसराल अपच पोषक का पाचन छोटी आंत में होता है जो आंत्र रस की सहायता से होता है |

क्षारीय

 

 

क्षारीय

 

क्षारीय  

    

8. मनुष्य के आहारनाल का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाऐं | वर्णन की आवश्यकता नहीं है | 

उत्तर :-  

मनुष्यों का आहारनाल

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